मंगलवार, 17 जनवरी 2017

वैष्णो देवी दर्शन, जम्मू यात्रा : पाँचवाँ दिन

अगिला दिने बिहाने सात बजे जगवीं। तइयार हो के निकलवीं आ पहुँचवीं बस स्टैंड चौराहा। ओजी पर्ची काउंटर बा जहाँ यात्रा खातिर पर्ची कटेला। एकरी बिना बाणगंगा चेक पोस्ट से आगे ना जाए दिहल जाला। अब एगो पर्ची काउंटर रेलवे स्टेशनो पर खुल गइल बा कि आदमी ट्रेन से उतरते पर्ची ले लेव। पर्ची ले के भाई साहब के फोन करवीं त उहाँका हमार नाम सीआरपीएफ गेस्ट में लिखवा देहवीं जवना से दर्शन खातिर लाईन में ना लागे के परो। ओजी से आटो पकड़ के बाणगंगा चेक पोस्ट पहुँचवीं। हमरी ल समान की नाम पर खाली कैमरा आ दूरबीन रहुवे। चेकिंग में पता चलुवे की दूरबीन ले गइल माना बा। ओके लाकर रूम में जामा करवावे के परूवे। चेक पोस्ट से निकलते एक किनारे लंगर लागS रहुवे। कढ़ी रोटी आ राजमा चावल दाब के खवीं। बाकिर जुता जमा करे
वाला बीस रुपिया ले लेहुवे। मने सट पट बराबर हो गउवे।  आगे बढ़के बाणगंगा पुल पार करवीं। ओजी बढिया नहाए के बेवस्था रहुवे। बाकिर हमरा ओसे का मतलब रहुवे। बन में बेल पाकल कउवा की कवना काम के! आगे बढ़वीं त लाइने से हजाम के दोकान रहवीसन। आस पास के लोग लइकन के मूड़न करावे ओहीजी ले जाला। अब चढ़ाई शुरू भउवे। चुंकी हम तुंगनाथ के चक्कर लगा आइल रहवीं एसे ओइसने चढ़ाई के आसरा रहुवे बाकिर इ त ओकरी मुकाबले कुछु ना रहुवे। बढ़िया रास्ता, ओपर धS के चले खातिर रेलिंग। बीचो में रेलिंग कि पैदलहा आ घोड़हा अलगे अलगे चलो। ओपर से दुनू ओर दोकाने दोकान। तनी आगे बढ़ला पर गीता मंदिर मिलुवे। ओसे तनी आगे बढ़वीं त देखSतानी की एहूजी कैफे काफी डे खुलल बा। मने हद बा। घोड़वा आला बहुत बदमास बाड़सन। बुझाला कि घोड़वन के पैदल लो कि देहिये पर चढ़ा दीहS सन। बारह एक बजे ले अर्धकुमारी पहुँचवीं।
अर्धकुमारी से माता भवन ले जाए के दू गो रास्ता बा। एगो भैरो स्थान हो के आ एगो डाइरेक्ट। हम डाइरेक्ट वाला पकड़वीं काहे से कि इ छोट बा। एजी से आगे फरदांव हो गउवे काहे से कि ए रास्ता पर खच्चर- घोड़ा माना बा। ओकनी खातिर भैरो स्थान वाला रास्ता बा। एजी से चढ़ाइयो तनी कमे बा। डेगारे बढ़वीं आ पाँच बजे ले भवन पहुँच गवीं।

ओजी सीआरपीएफ आफिस में रिपोर्ट करवीं। ओजी समान ओमान ध के दर्शन करे गवीं। आराम से दर्शन हो गउवे। जब वापसी खातिर निकलवीं क बरियार भूख लागल रहुवे। सागर रत्ना में जा के एगो रवा डोसा खवीं आ ओकरी बाद वापसी शुरू क देहवीं आ डेगारे बढ़ के साढ़े सात ले अर्धकुमारी। ओजी थोड़ देर आराम क के आगे बढ गवीं। बाण गंगा से अर्धकुमारी ले रास्ता की अलावा जगहि जगहि सीढ़ियो बनल बा। चढ़त में त दुइये जगहि सीढ़ी धइला में सांस फूले लगुवे बाकिर उतरत में सीढ़ी के भरपूर इसतेमाल करवीं। नव की लम सम ले बाणगंगा पहुँच गवीं। ओजी टेम्पू वाला अति कइले रहुवSसन। साला दू कीलोमीटर के पचास रूपिया सवारी! आ उहो ठूस के! रीजरब अढ़ाई स में! हमहूँ कहवीं की जेंगान बत्तिस कीमी चलनी हँ ओंगान चौंतीसो चलल जा सकेला आ पैदले तान देहवीं आ थोड़ देर में बस स्टैंड चौराहा पर पहूँच गवीं। पिछला रात की खराब खाना से दिमाग खराब रहुवे एसे एगो नीमन रेस्टोरेंट में चाउमीन खवीं जवन की ठीक ठाक रहुवे। फेर होटल रूम में आके बिछवना ध लेहवीं।

अगिला दिने देरी से सुत के उठवीं बस ध के उधमपुर चल गवीं काहे से कि लंच में मीट खाएके मन रहुवे। बढ़िया यखनी आ रोटी खा के मजा आ गउवे। बजार में से दू किलो अखरोट लेहवीं आ स्टेशन आ गवीं। सम्पर्क क्रांति में टीकठ रहबे करुवे, आराम से बिहाने बिहाने दिल्ली ध लेहवीं।
इति जम्मू-काश्मीर यात्रा संपूर्णं।
बाणगंगा चेकपोस्ट

लंगर खातिर जुता चप्पल जमा करेके स्टाल


कटरा शहर



भवन के पहिला झलक

डौन्ट बी ए बंदर, टेस्ट द थंडर

ई लो कहीं ना मानी लो

भवन



ई क्हें डलनी हँ, नीचे से दूसरा लाइन देखल जाव

2 टिप्‍पणियां: