बुधवार, 28 दिसंबर 2016

अनंतनाग से कटरा, जम्मू - काश्मीर यात्रा : चउथा दिन

पहिला ट्रेन पकड़े के प्लान आज सफल हो गउवे आ दस बजे ले बनिहाल पहुँच गवीं। ओजी से उधमपुर के सवारी कवनो टेक्सी वाला ना बइठावत रहुवsसन। सभ जम्मू! एगो बइठावहूँ के तइयार भउवे त एह सर्त पर कि किराया जम्मू के देबे के परी। हम कहवीं भगबs कि ना! खीस बरूवे त जा के बस में बइठ गवीं। ओहू में एतना भीड़ कि का कहे के। हमके सीट मिल गइल एगो चमत्कारे रहुवे। ऊपर से एक नम्मर के बदमाश कंडक्टर। केहू तरे बस चलूवे। जब कंडंक्टर किराया लेबे हमरी ल अउवे त हम पान स के नोट धरा देहवीं आ उ टीकठ की संगे पता ना कवना झोंका में दू स अधिका फेर देहुवे। जेनरली अइसन भइला पर हम पइसा वापस क देनी बाकिर सारे कंडक्टरवा पर जीउ जरs रहुवे एसे चुप चाप धs लेहवीं। रास्ता में एक जगहि नाश्ता पानी खातिर बस रुकुवे आ दू बजे ले उधमपुर उतार देहुवे।

उतर के कुछु खाए की फेर में परवीं। ओजी एक्के गो दोकान रहुवे जवना में बईठ के अपना मनपसंद चीझ समोसा के आडर देहवीं। आतना ना घटिया समोसा देहुवे की का कहल जाव। हमार त जीउवे झनझना गउवे। एक काटा से ढेर ना खाइल गउवे। मूँह बना के बहरी आ गवीं आ कटरा की बस के इंतजार करे लगवीं। बसओ मुआ के ध देहुवे। पहिले त घंटा भर इंतजार करा के अउवे, आ अइबो करुवे त एतना भरल की चढ़लो मुश्किल! केहू तरे आधा दूर खड़े खड़े गवीं। ओकरी बाद जाके सीट भेंटउवे। कटरा पहुँचत पहुँचत पाँच से ऊपर हो गइल रहुवे।

अब होटल खोजल चालू करवीं। एक त कवनो की ल सिंगल रूम ना रहुवे आ डबल रूम 6-7 स की नीचे देत ना रहुवsसन। कइ होटल घुमला की बाद एगो तीन स में रूम देबे के तइयार भउवे। जा के हाथ मूँह धो के खाना खाए निकलवीं। कुल्ह कटरा जोहि देहवीं बाकिर कहीं मुर्गा ना मिलुवे। मन मार के एक जगहि शाकाहारी खाए बइठवीं। खाना कवनो गत के ना रहुुवे। केहू तरे दू रोटी घोंटवीं आ रूम में जा के सुत रहवीं। यात्रा के ई सबसे खराब दिन गुजरूवे। आज कथिके फोटो डालल जाव...........


बुधवार, 28 सितंबर 2016

पहलगाम आ अनंतनाग, कश्मीर यात्रा तिसरका दिन

सबेरे फेर उठे में देर हो गइल आ पहिला ट्रेन छूट गइल। दूसरकी ट्रेन पकड़ के अनंतनाग पहुँचवीं। पहुँचत पहुँचत एगारS बज गउए। तुरंते सूमो पकड़ के शहर की भीतर बस स्टैंड पहुँचवीं। भूख लाग गइल रहुवे एसे एगो ठीक ठाक होटल देख के खाए बइठवीं। साला खाना कवनो गत के ना रहुवे आ महंगा अतना की पूछS मत। एक प्लेट यखनी के 280 रुपिया ले लेहुवे। बस स्देंड पर की खाना के हमार अनुभव कहीं आ कबो ठीक नईखे रहल। खाना खा के पहलगाम के सूमो पकड़वीं। रास्ता लिद्दर नदी की किनारे किनारे बा। जब पहलगाम नियराईल त सड़की पर बरफ मिले लागल। जब पहलगाम में उतरवीं त चारूओर बरफे बरफ। उतरते एगो टट्टू वाला पीछे परल। ओकरा से मुश्किल से पीछा छोड़ा के एटीएम खोजवीं आ पइसा निकलवीं। वापस स्टैंड पर आवते फेर उहे पीछे पर गउवे। साफ माना क देहवीं त गिलगिलाए लगुवे की आप सीजन चलSता आ ओकर नम्मर पाँच दिन बाद आइल बा आ अगर हम ओके हायर ना करब त ओकरा फेरू पाँच-छव दिन इंतजार करे के परी। अब हम मुश्किल में पर गवीं कि अब ए इमोशमल ब्लैकमेल के का करीं, अंत में कहवीं कि चलS आज ब्लैकमेल होईए जाइल जाव काहे से की बरफ की वजह से कवनो गाड़ी वाला चंदनवाड़ी आ बेताबघाटी ना जात रहुवSसन। पुछवीं कहाँ ले चलबे त कहSता मिनी स्विटजरलैंड देखा दे तानी। हम कहवीं की सीधा बात कर तब जगहि के नाम बतउवे बैसारन। बैसारन पहलगाम से तीन चार कीलोमीटर बा। चार स में बात फाईनल भउवे। जिनगी में कबो घोड़ा पर चढ़ल ना रहवीं एसे चढ़ते में हमार चोन्हा फुला गउवे।  खैर, घोड़ा पर शुरू में त गिरला की डरे कचकचा के जीन धS के बइठल रहनी बाकिर धीरे धीरे डर कम हो गउवे आ एक हाथे फोटउवो घींचे लगवीं। बाकिर हील डोल की वजह से फोटो नीमन ना आ पावत रहुवे। चारू ओर हर समान पर बरफे बरफ रहुवे। खाली पेड़न पर बरफ ना रहुवे। रास्ता में दु तीन जगहि व्यू प्वाइंट रहुवे जहाँ रुक के टट्टू पर बइठले बइठले फोटो घिंचउवे।ओजी से पहलगाम त बहुत सुंदर लागत रहुवे बाकिर भयंकर बदरी की वजह से पहाड़ के एक्को चोटी ना लउकत रहवीं सन। मौसम नीमन रहला पर गजबे सुन्दर लागित। रास्ता एकदम कानो कानो भईल रहुवे। कबो कबो त बुझात रहुवे की कहीं घोड़वे ना बिछिला के गिर जाव। करीब आधा घंटा में बैसारन पहुँच गवीं जा। उहो का रहुवे? खाली एगो ढालू विशाल मैदान जवन बरफ गिरला की वजह से सुंदर लागत रहुवे। तनी तनी बरखा होत रहुवे, एसे बड़का कैमरा निकाले में डर लागत रहुवे। छोटके से फोटो लेबे लगवीं। तले संजोग से झीसी होत होत बरफबारी होखे लगुवे। हमरा त मजा आ गउवे। बड़का कैमरा निकलवीं आ मजा लेत फोटो लेबे लगवीं। ओजी करीब घंटा भर रुकला की बाद वापसी शुरू भउवे। चढ़ला ले उतरलका ढेर खतरनाक रहुवे। रास्ता भर पीछे महें तन के बइठे के परुवे।
पहलगाम पहुँचला की बाद तनी मारकेट घुमवीं बाकिर कुछु खास ना लगुवे। रोड पर से उतर के नदी की तीरे चल गवीं। ओजी थोड़ देर घुमवीं ओकरी बाद आ के अनंतनाग खातिर गाड़ी पकड़ लेहवीं। अनंतनाग पहुँच के तीन स में एगो रूम लेहवीं आ समान ध के बजार में निकल गवीं। एजी बजार पहलगाम ले नीमन रहुवे। तीन किलो अखरोट आ एक गराम केसर लेहवीं। अब खाए खातिर होटल मिलते ना रहुवे। आठे बजे सभ बन हो गइल रहुवे। बड़ा मुस्किल से एक जगहि पूड़ी तरकारी मिलुवे। खा के होटल ध लेहवीं।
पहलगाम बस स्टैंड

वे टू मिनी स्विटजरलैंड



खच्चर पर से फोटो लियाई त हाथ त हिलबे करी



बैसारन (मिनी स्विटजरलैंड)





हमी हम हैं तो क्या गम है

हमार वाहन


पहलगाम शहर




ओह पार



p.s.- फ्रांस से बड़ा हिट आवता हो। जे बा ओके धन्यबाद बा।

शनिवार, 13 अगस्त 2016

श्री नगर घुमाई, कश्मीर यात्रा दूसरका दिन

रातीखान अइसन ओंघी लागल कि अगिला दिने उठत उठत साढ़े आठ बज गइल जबकि साढे आठ में ट्रेन धरे के प्रोग्राम रहे। अगिला ट्रेन साढ़े नव के रहे। हाली हाली तइयार भइनी। वसीम बो पहिलही नाश्ता तइयार क देहले रहली। नाश्ता की बाद वसीम हमके स्टेशन छोड़ देहले। दू दिन पहिले बरफ गिरल रहे एसे चारू ओर या त बरफ रहे ना त काँदो रहे।
स्टेशन कंपाउंड में बरफ गलला के पानी भरल रहे। टिकठ ले के सुरक्षा जाँच करावे गइनी त आर पी एफ वाला कैमरा से फोटो घिंचवा के देखुवे। कहे लगुवे की आतंकवदिया कुल कैमरवा की बैटरिया की जगहिया में आइ. ई. डी. (मने एगो बम) भर के ले जातारs सन। प्लेटफारम पर पहुँचवीं। चारू ओर बरफ से भरल पहाड़ रहुवे। रेलबे लईनियो में कहीं कहीं बरफ छितराइल रहुवे। दु चार गो फोटो घिंचवीं तले ट्रेन आ गउवे। पीछे की डब्बा में एगो जंगला तर के सीट ध लेहवीं।
ट्रेन आगे बढ़ुवे। हर स्टेशन पर सुरक्षा बेवस्था टाइट रहुवे। थोड़ देर में ट्रेन सेव की बगइचन से हो के निकलुवे।  ठंढी में सेव के पेड़ सभ पतई गिरा देलsसन एसे कवनो पेड़ पर एक्को पतई ना रहुवे। बगइचा एकदम उजाड़ समसान खान लागत रहुवsसन। कहीं कहीं बे पतई की पेड़ पर एक-आध गो सेव फरल लउत जात रहुवे ऊ अउर बाउर लागत रहुवे। बारामूला से श्रीनगर ले पाँच स्टेशन बा। एक सवा घंटा में हम श्रीनगर स्टेशन पर रहवीं।
स्टेशन से निकलते फेर सुनसान, एगो दोकान ले ना, दु गो चार स सात सवारी भरत रहवी सन। ओकनी से लाल चौक खातिर पुछवीं त माना क देहवी सन। टेम्पू आला लाल चौक के तीन स मांगत रहुवसन। इहे पूछत पाछत हम हाईवे पर ले आ गवीं। ओजी एगो कोना पर सेना के गाड़ी खड़ा रहुवे आ सैनिक डिप्टी पर एकदम मुस्तैद रहुवसन। खड़ा हो के अबे सोचत रहवीं का अब का करीं तले एगो टेंपू लगे आ के रुकुवे पुछुवे कहाँ जाएके बा। लाल चौक बतवला पर कहुवे कि सौ रूपिया लेब बाकिर रास्ता में सवारियो बइठाएब, हम सकार के बईठ गवीे। हाइवे छोड़ते रास्ता एकदम कीच काच वाला हो गउवे, ओपर से एतना ट्रैफिक कि का कहल जाव। टेम्पुवा आला अनासे तीन स ना मांगत रहुवsसन। आ दूरियो त लगभग दस कीलोमीटर बा। ओही चेंक पांक के पार करत आधा घंटा में लाल चौक पर उतार देहुवे।
चौक की बीच में एगो घंटाघर बा आ ओकरी चारूओर पार्क बा।एगो कोना में मंदिरो बा।  एजी ढेर सैनिक तैनात रहुवsसन। आ रहबो काहे ना करsसन, आखिर ई घाटी के सबसे बवाली जगहि हs। लेकिन ए बेरा एजी कवनो बवाल ना रहुवे। भारत की कवनो आम बजार खान चहल पहल रहुवे। मार जे रोड की किनारे कपड़ा, चादर, जूता, बेल्ट आ ईलेक्ट्रानिक समान बेचात रहुवे। एगो आदमी रोटी छोला के गोफा टाइप कुछू बना के बेंचत रहुवे। हमहूँ एगो ले के चिखवीं त निमने लगुवे। ओही के खात लाल चौक घूमे लगवीं।
घुमला की बाद डल झील जाए के बिचार बनुवे। गूगल मैप में देखवीं कि ओकरा खातिर हमरा डल गेट जाए के परी। ओजी से एगो सूमो टैक्सी मिल गउवे जवन दस रूपिया में डल गेट उतार देहुवे। अबे उतर के दसो डेग आगे ना बढ़वीं तले शिकारा वाला पीछे पर गउवे। हम मने क देहवीं बाकिर ऊ त पिछहीं पर गउवे। कहे लगुवे हई घुमा देब, हऊ घुमा देब, सोरह स सरकारी रेट ह, रउवा साते स दे देब। हम कहवीं हमरा झील में घूमहीं के नईखे बाकिर ओकरी मोलाई कइला की कला के माने के परी कि अंत में हमके चार स में मनाइए लेहुवे। शिकारा बहुत पातर आ हलुका होला जबकि अपनी इहाँ के नाय चाकर आ भारी होली सन जवना से ढेर संतुलित होली सन। चढ़त में शिकारा अइसन डगमगउवे कि पानी में लगभग गिरिये गवीं। मलाह शिकारा खेवत आगे बढुवे। हमके समझा देहुवे कि केहु से केसर- शिलाजीत भा दूसर समान मत कीनब। नकली देलsसन। हम रउवा के नीमन दोकान में ले चलब जहाँ असली समान मीलेला। हम मने मने कहवीं कि हम सभ बूझsतानी। ई चक्कर असली नकली के नईखे, कमीशन के बा। ना हमरा एजी से कीने के बा ना ओजी से कीने के बा। आगे बढला पर एगो आर्टीफिशियल गहना बचे वाला गहना कीने के कहे लगुवे। कहता कि कश्मीर की निशानी की तौर पर लेले जाईं। ओके टार के आगे बढ़वीं जा त केसर, कपड़ा, स्नैक्स, पकौड़ी बेंचे वाला भेंटउवसन। एगो फोटोग्राफरो अउवे बाकिर डीएसएलआर देख के वापस हो लेहुवे। एगो से ट्राउट मछरी के टिक्का लेहवीं बाकिर कवनो खास ना लगुवे जबकि ट्राउट के बड़ा तारीफ सुनले बानी। हमरा बुझाता ऊ हमके ट्राउट कहि के कुछु अउर धरा देहलस। एक जगहि कहवा पियवीे, उहो बेकारे रहुवे। एगो लीली गार्डेन परूवे बाकिर ओमें एगो लीली ना रहुवे। हम आइले गलत मौसम में रहवीें एसे भीड़ो ना रहुवे। सभसे मजेदार त हमरा हाउस बोटन के नाव लगुवे। एक से बढ के एक रहुवे। नमूना देखल जाव - दिलरुबा, आलमोस्ट हैवेन, अपोलो-11, न्यूजीलैंड, शिकागो, मिस अमेरिका, हॉलीवुड, अनारकली, होनोलूलू, कुतुबमिनार। आगे नेहरू पार्क रहे जवन एगो टापू पर बा। मलाह घूमेके कहुवे त हम मना क देहवीं। आगे बजार में पहुँचवीं जा। पानिये की उपर किसिम किसिम के दोकान रहुवे। कपड़ा-किताब से ले के किराना ले। अपना कमीशन वाला दोकान पर रोक देहुवे त हम मने क देहवीं की हमरा कुछू कीनेके नईखे। बेचारा मुँह बना के शिकारा आगे बढ़ा लेहुवे। ओकरी बाद घुमा फिरा के ले आ के उतार देहुवे।
ओजी से निकलला की बाद शंकराचार्य मंदिर जाए खातिर टेम्पूू करवीं। चेक पोस्ट पर सीआरपीएफ वाला टेम्पूवा में एगो साधू के बईठा का कहुवसन कि इहाँका मंदिर के पुजारी हवीं, इहाँ के उपरा के छोड़ दिहs लो। हमरा कवन परेशानी हो सकत रहुवे। टेम्पू पार्किंग में छोड़ के आगे बढवीं। कैमरा सीआरपीएफ वाला बहरे जमा करवा लेहुवसन। चीड़-देवदार की जंगल की बीचे बीचे ऊपर जाए खातिर सीढ़ी बनल बा। चढ़त चढ़त  हाँफ गवीे बाकिर मंदिर की लग से जवन सुन्दर श्रीनगर आ डल झील लउकत रहुवे कि सभ हाफा-डाफा भुला गउवे। परिक्रमा क के भगवान के दर्शन करवीं। नीचे आके एगो सूमो वाला से स्टेसन के पुछवीं त कहता कि अब ट्रेन कहाँ मिल पाई। घड़ी देखवीं त ऊ सहिये कहत रहुवे। ट्रेन में आधा घंटा रहुवे आ आधा घंटा में स्टेशन पहुँचला मान के ना रहुवे। सुमो धs के बटमालू बस स्टैंड पहुँचवीं आ ओजी से बारामूला के सूमो मिल गउवे आ डेढ़ घंटा में वसीम की घरे पहुँच गवीं। फर्स्ट क्लास खाना खवीं आ निनिया रानी की हवाले हो गवीं।
मित्र वसीम आ उनकर मलिकाइन

दुआरी पर छितराइल बरफ

बारामूला स्टेशन

सेव के बे पतई के बगइचा

बड़गाम स्टेशन

श्रीनगर स्टेशन

शिकारा में

झील में

शिकारा में कपड़ा के दोकान

हाउसबोट में सुन्दर लकड़ी के काम




रोड की किनारे लाइन से शिकारा


झील में स्थाई दोकान



किराना दोकान

झील में चाय-काफी

पहाड़ी से झील में हाउसबोट

शनिवार, 23 जुलाई 2016

दिल्ली से बारामूला, कश्मीर यात्रा : पहिला दिन

जनवरी के महीना रहे। नया नया DSLR किनले रहनी जवन खाली भोजपुरिया स्वाभिमान सम्मेलन में कामे आइल रहे! कही अइसन जगहि घूमे जाए के मन करत रहे जहाँ मन भर फोटो घिंचाव, बाकिर छव महीना से खलिहे बइठल रहनी एसे पइसा खरचा करे के हिम्मत ना परे! एही बीचे एक दिन दीदी सलाह देहली वैष्णो देवी जाएके। मलिकाइन जाए की अवस्था में ना रहली एसे अकेलही जाए के प्रोगराम बनल। फेर सोचनी कि जब वैष्णो देवी जातानी त एही लगले कश्मीरो धांग दिहल जाव! अब समस्या भईल टीकठ के। सभ टरेन फुल। फारेन टूरिस्ट कोटा में सीट खाली रहे बाकिर हमार रेजीडेंट कार्ड एक्सपाएर हो गईल रहे। कहनी चलs एक हाली ट्राई मारल जाव। पासपोर्ट ले लेहनी आ रेजीडेंट कार्ड घरवे छोड देहनी। नई दिल्ली फारेन टूरिस्ट ब्यूरो मे जाके टोकन ले के बईठ गइनी। जब नंबर आइल त क्लर्क वीजा भा रेजीडेंट कार्ड मंगलस। कहनी नइखीं ले आइल त बडा रिक झिक कइलस। अंत में कहलस की ह्वाट्सएप पर मंगा द। हम खाली आगे वाला पेज मंगा के देखा दहनी (एक्सपायरी डेटवा पीछे रहे) आ टीकठ मिल गईल। कहनी की चलs एगो त काम निपटल। अब जाए की दिने मलिकाइन मछरी बनवली। खा ओ के निकले की बेरा खाना पैको क देहली। स्टेशन पहुँच के उत्तर संपर्क क्रांति में आपन बर्थ पकडनी। पूरा ट्रेन भक्तिमय रहे! लोग भर भर मूँहे गुटका ले के पीक गिरे से बचावे खातिर मुँह उँट खान उपर महें क के 'जय माता दी! जय माता दी!' कहत ना थाकत रहे। अइसन भक्तिमय माहौल में मछरी खाइल नीमन ना लागित एसे डब्बा खोलबे ना कइनी आ सुत रहनी। सबेरे जम्मू में आँख खुलल आ आठ बजे ले उधमपुर पहुँच गइनी। ओजी स्टेशन से बहरा निकलनी त सुनसान। बस दु चार गो फौजी गाडी जवन कवनो अफसर के लेबे आइल रहे। आस पास ना कवनो मकान ना दोकान। जम्मू काश्मीर से ई हमार पहिला परिचय रहे। स्टेशन से बहरा.निकलनी त दु चार गो एस यू वी टैक्सी खडा रहली सन। एगो की लगे एगो सरदार खडा हो के बानिहाल - श्रीनगर के आवाज लगावत रहे। औकरा से  बानिहाल के किराया पुछनीं त पाँच स बतवलस। हमरा ढेर बुझाइल एसे ओमें ना बइठ के बस स्टैंड जाए खातिर बस ध लेहनी। अबे अधे दूर गइनी जा तले एगो बसवा रोकवा के भीतरी घुसल आ बानिहाल बानिहाल चिलाए लागल। किराया पूछनी त तीन स बतवलस। तुरंते उतर के ओकरी इनोवा में बईठ गइनी। चार आदमी पहिले से बइठल रहे! ड्राइबर गाडी स्टार्ट कइलस, बस स्टैंड के चक्कर लगा के सवारी बइठवलस आ चल देहलस। तनी सा आगे गइला पर बरफ वाला चोटी लउके लागल। आगे गइला पर एक जगहि चाय नाश्ता खातिर रुकल गईल। हम चाय त ना पीयेनी बाकिर ललछाहूँ नमकीन चाय देख के टेस्ट करे खातिर ले लेहनी। ठीके ठाक लागल। ओजी से तावी नदी की तीरे तीरे आगे बढनी जा। आगे जाके तावी नदी छूट गईल आ गाडी चढाई चढे लागल! ओकरी बाद गाडी कुद नाव की गाँव में रुकल जवन ओने अपनी मिठाई खातिर मशहूर ह। ओजी से आगे बढनी जा त पहुँचनी जा पटनी टाप! ओजी पूरा बादरे बादर रहे! पटनी टाप हेलते उतराई चालू हो गईल आ तनी आगे बढते चिनाब नदी मिल गईल। चिनाब की तीरे तीरे आगे बढनी जा। ड्राइबर रामबन में खाए के कहे लगुवे त हमनी का मने क देहवीं जा की कहीं खाए की फेरा में बनिहाल से तीन बजे वाली ट्रेन ना छूट जाव। बाकिर उ कहे लगुवे कि हम ट्रेन पकडा देब खाना खा लिहल जाव त सभे मान गउवे। होटल सस्ते रहुवे हमहूँ मीट भात चाँप लेहवीं। खा के आगे बढते गाडी पेन्चर हो गउवे। अब सभे डराइबर पर कुडबुडाए लगुवे। बेचारा हाली हाली चक्का बदल के गाडी भगउवे। बाकिर हाय रे किस्मत! बानिहाल से दस कीलोमीटर पहिले फेर पेंचर। अब डराइबरो हाथ उठा देहुवे। अब रोड किनारे खडा हो के साधन खोजे लगवीं जा। एगो टैम्पो ट्रैवेलर वाला मिलुवे जवन बानिहाल स्टेशन ले आ के छोड देहुवे। सबसे खराब किस्मत ई की ट्रेन सामने से निकल गउवे। अब अगिला ट्रेन एक घंटा बाद रहुवे। स्टेशने पर घूमत टाइम पास करे लगवीं। तले मन परुवे रात के रोटी मछरी बैग में परल बा! सोचवीं खराब त होइए गईल होई बिग दे तानी। रोटिया त पापड हो गई रहुवे बाकिर मछरिया अबे नीमन रहुवे। स्टेशनीए पर मछरी सधsवीं तले ट्रेन आ गउवे। टीकठ ले के बइठ गवीं। बानिहाल की बाद एगो सुरंग बा जवन भारत के सबसे लंबा रेलवे सुरंग ह। ओकरी बाद हिलर शाह आबाद स्टेशन बा जवन कश्मीर के सबसे उँच स्टेशन हs। ओंघी लागत रहुवे एसे बइठले बइठल झप गवीं आ जब जगवीं त अन्हार हो गईल रहुवे आ ट्रेन श्रीनगर पहुँच गइल रहुवे। हमरा बारामूला जाएके रहुवे जवन कि कश्मीर के आखिरी स्टेशन ह। आठ बजे की लगभग ट्रेन बारामूला पहुँचुवे। स्टेशन की बहरा निकल के अपना मित्र-मेजबान वसीम भट्ट के फोन करवीं त कहुवन की पाँच मिनट में पहुँचतानी। हम ईंतजार में एक ओर खड़ा हो गवीं। आर पी एफ वाला लो स्टेशन बन क के घरे जाए के तइयारी करत रहुवे लो। हमके खडा देखुवे लो त आ के पूछताछ करेे लगुवे लो। बतवला पर जले वसीम आ ना गउवन तले सभ जाना ओहीजी खडा रहुवे लो। वसीम की घरे सबसे परिचय भउवे भयंकर थाक गइल रहवीं एसे  खाना खा के रजाई में ढुक गवीं।
कुद गाँव

बरफ के पहिला दर्शन

बानिहाल स्टेशन

स्टेशन से पहाड़ के नजारा

स्टेशन

मंगलवार, 12 जुलाई 2016

पोखरा से गाँवें, नेपाल यात्रा : आखिरी दिन

अब आज केहू तरे गोरखपुर पहुँचे के प्रोग्राम रहे! सबेरे सबेरे शांति स्तूप देखे निकलवीं जा! ई फेवा ताल की ओ बगल एगो पहाडी की उपर बा! काफी उपर ले गाड़ी जाए के रास्ता बनल बा। ओकरी बाद तनी मनी पैदल चढे़ के परेला। 15-20 मानट मे पार्किंग में पहुँच के गाडी खडा क के चढाई शुरू क देहवीं जा। थोड़ देर में उपर स्तूप पर पहुँच गंवीं जा। ओजी से चारू ओर के नजारा जीउ हरिहरा देबे वाला रहुवे। एक इओर के घाटी पूरा बादर से भरs रहुवे! हमनी का बादरो से उपर खाडा हो के  ओके देखत रहवीं जा!स्तूप पूरा चटक उजर रंग के बा जवना के शिखर सोनहुली रंग के बा। ओकरी चारूऔर बड़हन बड़हन दियरखा बना के ओकनी में भगवान बुद्ध के अलग अलग मुद्रा में सोनहुली रंग के मुर्ति बनावल बा। जूता खोल के सीढी चढ़ला की बाद बात-चित आ हाल्ला गुल्ला एकदम माना बा। चुप चाप घूम के देखs आ मन करे त कही बईठ के ध्यान करs। स्तूप की पीछे से फेवा ताल आ पोखरा शहर खूब सुंदर लागत रहुए! आकाश में बदरी रहुए एसे अन्नपूर्णा चोटी आ पहाड़ ना लउकत रहुवे। बाद मे बादर तनी नीचे भउवे त उपरा से खाली अन्नपूर्णा माई की चोटी के दर्शन भउवे। देख ओख के नीचे उतरवीं जा त हमार विचार बटरफ्लाई म्यूजियम देखे के बनुवे। बाकिर परेशानी ई रहुवे की केहू का पते ना रहुवे कि ई बा कहाँ। गूगलो बाबा फेल रहुवन। ना होटल मालिक का पता रहुवे ना कवनो टैक्सी वाला बता पावत रहुवे! संयोग से एगो लडि़का हमके पूछत सुनुवे त आके बतउवे कि ई म्यूजियम ओकरी यूनिवर्सिटी कैंपस  की भीतर बा यानी प्रिथ्वी नारायण कैंपस की भीतर! ओकर असली नाम ओजी पहुँचला की बाद पता चलुवे। अन्नपूर्णा नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम! ई एगो छोटी चुकी चार कमरा के म्यूजियम बा जवन अपनी आकार की हिसाब से खूब भरल पुरल आ सजावल धजावल बा। घुसते पहिला हाल में अलग अलग पहाडी जानवरन के डिटेल बा, आगे एगो देवाल पर हर साइज के तितली मय क्लासिफिकेशन की संगे टांकल बाडी सन। एही से एके बटरफ्लाई म्यूजियम कहल जाला! दोसरा ओर दुनिया में कवना कवना उँचाई पर कवन कवन तरह के बकरी आ भेंड़ होलीसन एकर एगो खाका बनs रहे! हम त अचरज में पर गवीं की इहे एगो जानवर बाड़ी सन जवन दुनिया की हर कोना, हर मौसम आ हर उँचाई पर होलीसन! अगिला कमरा में भूसा भरल अलग अलग किसिम के जानवर धइल रहलsसन! नेउर, बदुरी, उल्लू, तोता, मैना एतना बढियाँ से धईल रहे कि बुझाव की अबे बोले लगिहसन! ओजी से निकलत निकलत 12 बज गईल रहुवे! ओजी से सीधा गोरखपुर के रास्ता धरवीं जा आ राती के आठ बजत बजत नौतनवा आ दस बजत बजत गोरखपुर राजाराम भाई की घरे पहुँच गँवीं जा! आ बिहाने बिहाने आदमी आपन घर ध लेहुवे।

                                             

बादरो से उपर



अन्नपूर्णा माई की चोटी के दर्शन


फेवा ताल आ पोखरा शहर

शांति स्तूप

अन्नपूर्णा नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम




अथ श्री नेपाल यात्रा कथा समाप्तिः