मंगलवार, 12 जुलाई 2016

पोखरा से गाँवें, नेपाल यात्रा : आखिरी दिन

अब आज केहू तरे गोरखपुर पहुँचे के प्रोग्राम रहे! सबेरे सबेरे शांति स्तूप देखे निकलवीं जा! ई फेवा ताल की ओ बगल एगो पहाडी की उपर बा! काफी उपर ले गाड़ी जाए के रास्ता बनल बा। ओकरी बाद तनी मनी पैदल चढे़ के परेला। 15-20 मानट मे पार्किंग में पहुँच के गाडी खडा क के चढाई शुरू क देहवीं जा। थोड़ देर में उपर स्तूप पर पहुँच गंवीं जा। ओजी से चारू ओर के नजारा जीउ हरिहरा देबे वाला रहुवे। एक इओर के घाटी पूरा बादर से भरs रहुवे! हमनी का बादरो से उपर खाडा हो के  ओके देखत रहवीं जा!स्तूप पूरा चटक उजर रंग के बा जवना के शिखर सोनहुली रंग के बा। ओकरी चारूऔर बड़हन बड़हन दियरखा बना के ओकनी में भगवान बुद्ध के अलग अलग मुद्रा में सोनहुली रंग के मुर्ति बनावल बा। जूता खोल के सीढी चढ़ला की बाद बात-चित आ हाल्ला गुल्ला एकदम माना बा। चुप चाप घूम के देखs आ मन करे त कही बईठ के ध्यान करs। स्तूप की पीछे से फेवा ताल आ पोखरा शहर खूब सुंदर लागत रहुए! आकाश में बदरी रहुए एसे अन्नपूर्णा चोटी आ पहाड़ ना लउकत रहुवे। बाद मे बादर तनी नीचे भउवे त उपरा से खाली अन्नपूर्णा माई की चोटी के दर्शन भउवे। देख ओख के नीचे उतरवीं जा त हमार विचार बटरफ्लाई म्यूजियम देखे के बनुवे। बाकिर परेशानी ई रहुवे की केहू का पते ना रहुवे कि ई बा कहाँ। गूगलो बाबा फेल रहुवन। ना होटल मालिक का पता रहुवे ना कवनो टैक्सी वाला बता पावत रहुवे! संयोग से एगो लडि़का हमके पूछत सुनुवे त आके बतउवे कि ई म्यूजियम ओकरी यूनिवर्सिटी कैंपस  की भीतर बा यानी प्रिथ्वी नारायण कैंपस की भीतर! ओकर असली नाम ओजी पहुँचला की बाद पता चलुवे। अन्नपूर्णा नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम! ई एगो छोटी चुकी चार कमरा के म्यूजियम बा जवन अपनी आकार की हिसाब से खूब भरल पुरल आ सजावल धजावल बा। घुसते पहिला हाल में अलग अलग पहाडी जानवरन के डिटेल बा, आगे एगो देवाल पर हर साइज के तितली मय क्लासिफिकेशन की संगे टांकल बाडी सन। एही से एके बटरफ्लाई म्यूजियम कहल जाला! दोसरा ओर दुनिया में कवना कवना उँचाई पर कवन कवन तरह के बकरी आ भेंड़ होलीसन एकर एगो खाका बनs रहे! हम त अचरज में पर गवीं की इहे एगो जानवर बाड़ी सन जवन दुनिया की हर कोना, हर मौसम आ हर उँचाई पर होलीसन! अगिला कमरा में भूसा भरल अलग अलग किसिम के जानवर धइल रहलsसन! नेउर, बदुरी, उल्लू, तोता, मैना एतना बढियाँ से धईल रहे कि बुझाव की अबे बोले लगिहसन! ओजी से निकलत निकलत 12 बज गईल रहुवे! ओजी से सीधा गोरखपुर के रास्ता धरवीं जा आ राती के आठ बजत बजत नौतनवा आ दस बजत बजत गोरखपुर राजाराम भाई की घरे पहुँच गँवीं जा! आ बिहाने बिहाने आदमी आपन घर ध लेहुवे।

                                             

बादरो से उपर



अन्नपूर्णा माई की चोटी के दर्शन


फेवा ताल आ पोखरा शहर

शांति स्तूप

अन्नपूर्णा नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम




अथ श्री नेपाल यात्रा कथा समाप्तिः

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढिया , तस्वीर के संगे संगे यात्रा के अनुभव के शब्दन मे परोसे के अंदाज आ भाव बहुत बेजोड़ । लमहर गैप के बाद लिखाता , एकरा के रेग्युलर कइल जाउ ! बहुते बेजो‌ड ।

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    1. रेगुलर पढ़ाई होई त लिखाइयो होखबे करी..........

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