शनिवार, 23 जुलाई 2016

दिल्ली से बारामूला, कश्मीर यात्रा : पहिला दिन

जनवरी के महीना रहे। नया नया DSLR किनले रहनी जवन खाली भोजपुरिया स्वाभिमान सम्मेलन में कामे आइल रहे! कही अइसन जगहि घूमे जाए के मन करत रहे जहाँ मन भर फोटो घिंचाव, बाकिर छव महीना से खलिहे बइठल रहनी एसे पइसा खरचा करे के हिम्मत ना परे! एही बीचे एक दिन दीदी सलाह देहली वैष्णो देवी जाएके। मलिकाइन जाए की अवस्था में ना रहली एसे अकेलही जाए के प्रोगराम बनल। फेर सोचनी कि जब वैष्णो देवी जातानी त एही लगले कश्मीरो धांग दिहल जाव! अब समस्या भईल टीकठ के। सभ टरेन फुल। फारेन टूरिस्ट कोटा में सीट खाली रहे बाकिर हमार रेजीडेंट कार्ड एक्सपाएर हो गईल रहे। कहनी चलs एक हाली ट्राई मारल जाव। पासपोर्ट ले लेहनी आ रेजीडेंट कार्ड घरवे छोड देहनी। नई दिल्ली फारेन टूरिस्ट ब्यूरो मे जाके टोकन ले के बईठ गइनी। जब नंबर आइल त क्लर्क वीजा भा रेजीडेंट कार्ड मंगलस। कहनी नइखीं ले आइल त बडा रिक झिक कइलस। अंत में कहलस की ह्वाट्सएप पर मंगा द। हम खाली आगे वाला पेज मंगा के देखा दहनी (एक्सपायरी डेटवा पीछे रहे) आ टीकठ मिल गईल। कहनी की चलs एगो त काम निपटल। अब जाए की दिने मलिकाइन मछरी बनवली। खा ओ के निकले की बेरा खाना पैको क देहली। स्टेशन पहुँच के उत्तर संपर्क क्रांति में आपन बर्थ पकडनी। पूरा ट्रेन भक्तिमय रहे! लोग भर भर मूँहे गुटका ले के पीक गिरे से बचावे खातिर मुँह उँट खान उपर महें क के 'जय माता दी! जय माता दी!' कहत ना थाकत रहे। अइसन भक्तिमय माहौल में मछरी खाइल नीमन ना लागित एसे डब्बा खोलबे ना कइनी आ सुत रहनी। सबेरे जम्मू में आँख खुलल आ आठ बजे ले उधमपुर पहुँच गइनी। ओजी स्टेशन से बहरा निकलनी त सुनसान। बस दु चार गो फौजी गाडी जवन कवनो अफसर के लेबे आइल रहे। आस पास ना कवनो मकान ना दोकान। जम्मू काश्मीर से ई हमार पहिला परिचय रहे। स्टेशन से बहरा.निकलनी त दु चार गो एस यू वी टैक्सी खडा रहली सन। एगो की लगे एगो सरदार खडा हो के बानिहाल - श्रीनगर के आवाज लगावत रहे। औकरा से  बानिहाल के किराया पुछनीं त पाँच स बतवलस। हमरा ढेर बुझाइल एसे ओमें ना बइठ के बस स्टैंड जाए खातिर बस ध लेहनी। अबे अधे दूर गइनी जा तले एगो बसवा रोकवा के भीतरी घुसल आ बानिहाल बानिहाल चिलाए लागल। किराया पूछनी त तीन स बतवलस। तुरंते उतर के ओकरी इनोवा में बईठ गइनी। चार आदमी पहिले से बइठल रहे! ड्राइबर गाडी स्टार्ट कइलस, बस स्टैंड के चक्कर लगा के सवारी बइठवलस आ चल देहलस। तनी सा आगे गइला पर बरफ वाला चोटी लउके लागल। आगे गइला पर एक जगहि चाय नाश्ता खातिर रुकल गईल। हम चाय त ना पीयेनी बाकिर ललछाहूँ नमकीन चाय देख के टेस्ट करे खातिर ले लेहनी। ठीके ठाक लागल। ओजी से तावी नदी की तीरे तीरे आगे बढनी जा। आगे जाके तावी नदी छूट गईल आ गाडी चढाई चढे लागल! ओकरी बाद गाडी कुद नाव की गाँव में रुकल जवन ओने अपनी मिठाई खातिर मशहूर ह। ओजी से आगे बढनी जा त पहुँचनी जा पटनी टाप! ओजी पूरा बादरे बादर रहे! पटनी टाप हेलते उतराई चालू हो गईल आ तनी आगे बढते चिनाब नदी मिल गईल। चिनाब की तीरे तीरे आगे बढनी जा। ड्राइबर रामबन में खाए के कहे लगुवे त हमनी का मने क देहवीं जा की कहीं खाए की फेरा में बनिहाल से तीन बजे वाली ट्रेन ना छूट जाव। बाकिर उ कहे लगुवे कि हम ट्रेन पकडा देब खाना खा लिहल जाव त सभे मान गउवे। होटल सस्ते रहुवे हमहूँ मीट भात चाँप लेहवीं। खा के आगे बढते गाडी पेन्चर हो गउवे। अब सभे डराइबर पर कुडबुडाए लगुवे। बेचारा हाली हाली चक्का बदल के गाडी भगउवे। बाकिर हाय रे किस्मत! बानिहाल से दस कीलोमीटर पहिले फेर पेंचर। अब डराइबरो हाथ उठा देहुवे। अब रोड किनारे खडा हो के साधन खोजे लगवीं जा। एगो टैम्पो ट्रैवेलर वाला मिलुवे जवन बानिहाल स्टेशन ले आ के छोड देहुवे। सबसे खराब किस्मत ई की ट्रेन सामने से निकल गउवे। अब अगिला ट्रेन एक घंटा बाद रहुवे। स्टेशने पर घूमत टाइम पास करे लगवीं। तले मन परुवे रात के रोटी मछरी बैग में परल बा! सोचवीं खराब त होइए गईल होई बिग दे तानी। रोटिया त पापड हो गई रहुवे बाकिर मछरिया अबे नीमन रहुवे। स्टेशनीए पर मछरी सधsवीं तले ट्रेन आ गउवे। टीकठ ले के बइठ गवीं। बानिहाल की बाद एगो सुरंग बा जवन भारत के सबसे लंबा रेलवे सुरंग ह। ओकरी बाद हिलर शाह आबाद स्टेशन बा जवन कश्मीर के सबसे उँच स्टेशन हs। ओंघी लागत रहुवे एसे बइठले बइठल झप गवीं आ जब जगवीं त अन्हार हो गईल रहुवे आ ट्रेन श्रीनगर पहुँच गइल रहुवे। हमरा बारामूला जाएके रहुवे जवन कि कश्मीर के आखिरी स्टेशन ह। आठ बजे की लगभग ट्रेन बारामूला पहुँचुवे। स्टेशन की बहरा निकल के अपना मित्र-मेजबान वसीम भट्ट के फोन करवीं त कहुवन की पाँच मिनट में पहुँचतानी। हम ईंतजार में एक ओर खड़ा हो गवीं। आर पी एफ वाला लो स्टेशन बन क के घरे जाए के तइयारी करत रहुवे लो। हमके खडा देखुवे लो त आ के पूछताछ करेे लगुवे लो। बतवला पर जले वसीम आ ना गउवन तले सभ जाना ओहीजी खडा रहुवे लो। वसीम की घरे सबसे परिचय भउवे भयंकर थाक गइल रहवीं एसे  खाना खा के रजाई में ढुक गवीं।
कुद गाँव

बरफ के पहिला दर्शन

बानिहाल स्टेशन

स्टेशन से पहाड़ के नजारा

स्टेशन

मंगलवार, 12 जुलाई 2016

पोखरा से गाँवें, नेपाल यात्रा : आखिरी दिन

अब आज केहू तरे गोरखपुर पहुँचे के प्रोग्राम रहे! सबेरे सबेरे शांति स्तूप देखे निकलवीं जा! ई फेवा ताल की ओ बगल एगो पहाडी की उपर बा! काफी उपर ले गाड़ी जाए के रास्ता बनल बा। ओकरी बाद तनी मनी पैदल चढे़ के परेला। 15-20 मानट मे पार्किंग में पहुँच के गाडी खडा क के चढाई शुरू क देहवीं जा। थोड़ देर में उपर स्तूप पर पहुँच गंवीं जा। ओजी से चारू ओर के नजारा जीउ हरिहरा देबे वाला रहुवे। एक इओर के घाटी पूरा बादर से भरs रहुवे! हमनी का बादरो से उपर खाडा हो के  ओके देखत रहवीं जा!स्तूप पूरा चटक उजर रंग के बा जवना के शिखर सोनहुली रंग के बा। ओकरी चारूऔर बड़हन बड़हन दियरखा बना के ओकनी में भगवान बुद्ध के अलग अलग मुद्रा में सोनहुली रंग के मुर्ति बनावल बा। जूता खोल के सीढी चढ़ला की बाद बात-चित आ हाल्ला गुल्ला एकदम माना बा। चुप चाप घूम के देखs आ मन करे त कही बईठ के ध्यान करs। स्तूप की पीछे से फेवा ताल आ पोखरा शहर खूब सुंदर लागत रहुए! आकाश में बदरी रहुए एसे अन्नपूर्णा चोटी आ पहाड़ ना लउकत रहुवे। बाद मे बादर तनी नीचे भउवे त उपरा से खाली अन्नपूर्णा माई की चोटी के दर्शन भउवे। देख ओख के नीचे उतरवीं जा त हमार विचार बटरफ्लाई म्यूजियम देखे के बनुवे। बाकिर परेशानी ई रहुवे की केहू का पते ना रहुवे कि ई बा कहाँ। गूगलो बाबा फेल रहुवन। ना होटल मालिक का पता रहुवे ना कवनो टैक्सी वाला बता पावत रहुवे! संयोग से एगो लडि़का हमके पूछत सुनुवे त आके बतउवे कि ई म्यूजियम ओकरी यूनिवर्सिटी कैंपस  की भीतर बा यानी प्रिथ्वी नारायण कैंपस की भीतर! ओकर असली नाम ओजी पहुँचला की बाद पता चलुवे। अन्नपूर्णा नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम! ई एगो छोटी चुकी चार कमरा के म्यूजियम बा जवन अपनी आकार की हिसाब से खूब भरल पुरल आ सजावल धजावल बा। घुसते पहिला हाल में अलग अलग पहाडी जानवरन के डिटेल बा, आगे एगो देवाल पर हर साइज के तितली मय क्लासिफिकेशन की संगे टांकल बाडी सन। एही से एके बटरफ्लाई म्यूजियम कहल जाला! दोसरा ओर दुनिया में कवना कवना उँचाई पर कवन कवन तरह के बकरी आ भेंड़ होलीसन एकर एगो खाका बनs रहे! हम त अचरज में पर गवीं की इहे एगो जानवर बाड़ी सन जवन दुनिया की हर कोना, हर मौसम आ हर उँचाई पर होलीसन! अगिला कमरा में भूसा भरल अलग अलग किसिम के जानवर धइल रहलsसन! नेउर, बदुरी, उल्लू, तोता, मैना एतना बढियाँ से धईल रहे कि बुझाव की अबे बोले लगिहसन! ओजी से निकलत निकलत 12 बज गईल रहुवे! ओजी से सीधा गोरखपुर के रास्ता धरवीं जा आ राती के आठ बजत बजत नौतनवा आ दस बजत बजत गोरखपुर राजाराम भाई की घरे पहुँच गँवीं जा! आ बिहाने बिहाने आदमी आपन घर ध लेहुवे।

                                             

बादरो से उपर



अन्नपूर्णा माई की चोटी के दर्शन


फेवा ताल आ पोखरा शहर

शांति स्तूप

अन्नपूर्णा नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम




अथ श्री नेपाल यात्रा कथा समाप्तिः