रविवार, 7 जून 2015

काठमांडू घुमाई, नेपाल यात्रा : तिसरका दिन

रातीखान हडाहे बोखार ध लेले रहुवे जवन सबेरे ले तनी कम हो गउवे। अपना बोखार साल में एक रात खातिर होखबे करेला आ बे दवाई खइले उतर जाला। बाकिर ई ओमे के ना रहुवे! खैर तनीमनी बोखार खातिर पोरगराम बिगाडल नीमन ना रहुवे। चदरा लपेट के बिहाने बिहाने पशुपति नाथ पहुँज गवीं जा। पहिले गाडी ढंग से पार्किंग में लगवा के ओकरी बाद मंदिर की ओर बढवीं जा। ओजी से कवनो मेला उखरत रहुवे। चरखी झुलुहा कुल्ह लागल रहुए बाकिर चलत ना रहुवे। आ बेटी झुलुहा में बईठे के जिद करे लगुए। हम कबो छोट लइकन से झूठ ना बोलेनी आ सच्चाई समझे के उ तैयार ना रहुवे। हँ तs ओके मनावे में पाहि तs लागिये गउवे। मंदिर की बहरी एक जगहि कबूतरन के दाना डाले के बेवस्था रहुवे! हमार बेटी त देखते कबूतरन की बीच में दउर गउवे आ मलिकाइन हमार हाथ धs के आँख किचकिचा के मून लेहुवी। उ कबूतर से पता ना काहे डेराली। मन भर दउरला की बाद बेटी अउवे। बगल में नेपाल के हिंदू राष्ट्र घोषित करे खातिर हस्ताक्षर अभियान चलत रहुवे। मलिकाईन साइन करे पहुँच गवी त डटवीं की नेपाल केतनो मित्र देश होखे बाकिर ओकरी अंदरूनी मामला में हमनी का कुछु ना करे के चाहीं। ओकरीबाद परसादी ले के मंदिर में ढुकवीं जा। ढुकते सामनहीं पित्तर के बडके चुका नंदी बाडे! उनकी ठीक सामने मेन मंदिर बा! मंदिर में चारू ओर दुवारी बा बाकिर भीतर ढुके के परमीशन नईखे! चारू दुवारी से दर्शन कइले बिना दर्शन पूरा ना मनाला! चारू ओर से दर्शन कइला की बाद अगल बगल की देवता लो के दर्शन भउवे। पशुपति नाथ के एगो काथा बा। जब पाण्डव लो महाभारत जीत लीहल त कुल गुरू ओ लो से कहले की तहन लो की माथे अपनी परिवार की लोग की हत्या के पाप बा। जा के प्रायिश्चित क के आवs लो। त ऊ लो गुरू जी से पूछल लो की कराई के, गुरू जी बतवले की आतना बड़हन पाप के प्रायिश्चित शंकरे जी करा सकेले। अउरी केहू की बस के नईखे। पाण्डव लो निकलल लो शंकर जी के खोजे। जब शंकर जी ई जनले त  प्रायिश्चित करावे की डरे भाग चलले। पाण्डव लो उनका के खोजत हिमालय में घूमत रहे लो तले एगो भईंसा लउकल। अर्जुन चिन्ह गइले की ई शंकर भगवान हउवन। भीम के इशारा कईले की ध ले इनका के। भीम जब आगे बढ़ले त शंकर जी जमीन में ढुके लगले। भीम उनकर पोंछ ध के खूबे जोड़ से बहरा घींच लेहले। शंकर जी त बहरा आ गईले बाकिर झटका से भईंसा का मुड़ी टूट के दूर बिगा गईल। उहे जा के काठमांडू में गिरल। उहे पशुपति नाथ हउवन आ जवन भीम की हाथ में रहले ऊ केदारनाथ हो गईले। ओजी से निकलला की बाद नीलकंठ खातिर निकलवीं जा। रास्ता में एक जगहि नाश्ता करे रुकवीं जा। हमार त तबियत त खराबे रहुवे, आ डराउबरो के तबियत नरमाहे रहुवे। दोकनदारिन से कहवीं की दू गो अइसन नूडल सूप बनाउ कि मिजाज गरमा जाव। मलिकाइन ओजी के लोकल नाश्ता (चिउरा आ आलू के तरकारी) लेहवी। सूप त उ सही में अइसन बना देहुवे कि कान महें धुँआ निकले लगुवे। मजा आ गउवे। तले एगो बाबाजी एकतारा पर हनुमान चलीसा गावत अइले। हम कबो केहू के भीख ना देनी बाकिर उ एतना नीमन गावत रहुवन कि बिस गो रुपिया देइए देहवीं। नाश्ता क के पहुँचवींजा नीलकण्ठ। नाम से त ई शंकर जी के मंदिर बुझात रहुवे बाकिर रहुवे बिष्नु भगवान के। ओजी पानी की बीच में भगवान के शेषनाग पर सुतल मुर्ति बा। मंदिर की भीतर फोटो घींचल माना बा बाकिर अोकर कवनो तुक नईखे। मुर्ति की चारी ओर पाँच फुट के छरकी बा। हाथ तनी मनी उँचा क के बहरे से नीमन फोटो आ जाला। पूजा क के निकलवीं जा त झीसी परे लगुवे। वापस होटल खातिर निकल लेहवीं जा। गूगल मैप में देखवीं कि होटल की बगले में कैसर महल रहुवे। भउवे कि ईहो घुमले चलल जाव। आ के ओमे ढुक गवीं जा। ई एगो पार्क ह जवना में कइ गो नीमन नीमन रेस्टोरेंट-बार बा। ढुकला के टीकठ बीस रुपिया। बाकिर बनवले बा बहुत सुंदर। नीमन घास, अलग अलग डिजाइन के परगोला बा। बिच्चे में एगो एम्फीथियेटर बा। हमनी के भाग नीमन ना रहुवे काहे से कि ओजी ले पहुँचत पहुँचत झीसी बरियार हो गइल रहुवे। बाकिर पार्कवा आला छाता के बेवस्था रखले रहुवsसन। एकहs गो छाता ले के हमनी का झिसिये में घुमवीं जा। एगो कोना में लक्ष्मी जी के एगो अलगे डिजाईन का मुर्ति रहुवे। गाउन पहिरले, एक हाथ में कमल आ दुसरका में से पईसा झहरावत। लगे जा के डिटेल पढवीं त पता चलुवे कि ऊ यूनान के पइसा के देबी आ भारत की लक्ष्मी जी के मिला के बनावल गईल बा। जब घुम के मिजाज थाक गउवे त आके होटल में एक घंटा आराम करवीं जा आ ओकरी बाद दरबार चौक घूमे निकल लेहवीं जा। अब त ओजी कुछऊ नईखे बचल। भूकंप सभ ले बीतल।  सबसे पहिले एगो बाँस गाड़ल बा आ ओपर तीन गो लोहा के गोला लगा के ओपर रंग बिरंग कपड़ा बान्हल बा। हम कई आदमी के ओकर पूजा करत देखवीं एसे अंदाज लगुवे कि ऊ कवनो देवता के धाजा हs। ओकरी आगे बढ़ला पर बांयाँ ओर कुमारी देवी के मंदिर बा। शाक्य ब्राह्मण लो अपना में से कवनो छोट लईकी के देवी चुनेला लो आ ऊ देवी ए मंदिर में रहेली। पुरा दरबार चौक पर ईहे एगो मकान भूकंप से बचल बा। लोग एके देवी के महिमा मानsता। ओकरी आगे काष्ठमंडप रहुवे(अब नईखे), दरबार चौक के शान। एकरे नाम पर शहर के नाम काठमांडू परल बा। रेक्सा ले के पूरा चौक हड़हेरवीं जा। ओजी के लोकल मिठाई खवीं जा। कुल्ही मिठाई अपनी ईहाँ कि मिठइयन खानी रहुवे। टिकरी, खाजा, पेड़ुकिया खानी। ओकरी बाद गाड़ी में बईठवीं जा आ वापस अपनी होटल। अगिला दिने का फेर कबो।
होटल की बहरी

पशुपतिनाथ की बहरा, कबूतर उड़ खेलत।

मंदिर की में गेट की सामने

मंदिर के दुवारी, सामने नंदी जी लउकतारे

हनुमान चलीसा वाला बाबा जी

नीलकण्ठ भगवान

कैसर महल में

लक्ष्मी जी

परगोला पर बाप बेटी

एम्फीथियेटर

बरखा में मस्ती

हई मलाई के खाई

रेस्टोरेंट की बहरा

दरबार चौक

कुमारी देवी मंदिर की दुआरी पर के डिजाइन

मंदिर की भीतर

मंदिर की बाहर से

नेपाल की झंडा की संगे, पीछे काष्ठमंडप ह।

दरबार चौक पर के धाजा

शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

हिटौड़ा से काठमांडू, नेपाल यात्रा : दुसरका दिन

सोचले रहनी जा कि हिटौड़ा से खूब बिहाने निकल लिहल जाई बाकिर भईल उहे जवन हमेशा होला। साढ़े सात ले निकलनी जा। हिटौड़ा कस्बा से बाहर निकलते मन हरिहर हो गईल। रोड की एक ओर जंगल से भरल पहाड़ त दुसरका ओर झरझरात साफ नदी। तनी आगे बढ़ला पर पैदल लोग का नदी ओ पार जाए खातिर एगो लोहा के झुलुहा वाला पुल रहे। मलिकाईन का सुंदर लागल त कहनी चलs लगे से देख लs। पुले पर चढ़ते ऊ हिले लागल। बबुनियाँ त डेरा के गोदी में सट गईल। पुल की बीच में से दुनू ओर घाटी शानदार लउकत रहे। दस मिनट ले आनंद लेहला की बाद आगे बढ़नी जा।

 रास्ता के सिनरी निहारत एक सावा घंटा में भइसहवाँ पहुँचनी जा। ओजी पुलिस कागज पत्तर चेक क के रजिस्जर में इंट्री क लेहुवे। भइसहवाँ समुंदर से 660 मीटर ऊँचा बा जबकी हिटौड़ा 470 मीटर। भइसहवाँ से काठमांडू जाए के दूगो रास्ता बा। एगो 140 कीलोमीटर बा आ एगो 187 कीलोमीटर। छोटका रस्तवा तनी खराब आ खतरनाक बा। डराइबर गाँव के रहे आ पहिली बार पहाड़ में आईल रहे एसे हमनी का बड़के रस्तवा धइनी जा।

 एजी से असली चढ़ाई चालू भईल। चढत-उतरत, छोट बड़ नदी पहाड़ हेलत आगे बढ़नी जा। रास्ता में दू तीन गो हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट परल। मलिकाईन रहि रहि के पूछे लागस हई का हs, हऊ का हs। पूरा बतावे के परल। डैमसाईट, पावर हाउस, एडिट, हेड रेज टनल, कैचमेंट एरिया कुल्ही फरिया के समझावे के परल। ओकरी बाद पहुँचनी जा दमन। रक्सौल-काठमांडू रास्ता के सबसे ऊँच जगहि। करीब 2500 मीटर पर बा। करीब दस बज गईल रहुवे एसे नाश्ता करे रूक गवीं जा। मलिकाईन तुरते चाय के आडर दे देहवी आ हम सवाचे लगवीं की हमरा का मिल सकेला। देखवीं की मेदूवड़ा से बड़ बाकिर ओकरे खानी गोल गोल कुछु धईल रहुवे। पुछला पर पता चलुवे की एकर नाम सेल रोटी हs। एके आलू-चना की तरकारी से खाईल जाला। एक पलेट ले के बईठ गवीं। एक काटा काटते पता चलुवे की ओमें त चिनियो परल बा। बाकिर तबो नीमने लगुवे। मलिकाइन आ डराइबर चाय-फरवठा मरुवे लो आ बबुनी के काम उसिनल अंडा से चल गउवे।

 खा पी के आगे बढ़वीं जा। अब उतराई रहुवे। जंगल की बिच बिच में फूल के पेंड़ लउकत रहुवsसन जवन लाल लाल फूल से लदाइल रहुवsसन। मलिकाइन फरमाइश करवी की कहीं फेड़वा निचिका लउको तs गड़िया रोकवा के फुलवा में से एगो ले अइतीं, बाड़ा सुन्दर लागsता। जब निचिका ना भेंटउवे त कहवीं कि का इनकर मन थोर करीं आ एक जगहि रोक के जंगल में उतरवीं। भीतरी जा के एगो फेड़ पर चढ़ के फूल तुर के ले अवीे। आहि दादा, ले के आवते बबुनिया बवाल नाध देहुवे कि हमरा खातिर काहे ना ले अइलs हs। केतनो समझवीं जा कि तोरे खातिर आइल हs बाकिर आज काल्ह की लइकन के बउक बनावल बहुत मुश्किल बा। ऊ नाहिये मनुवे आ हमरा दोबारा जा के ओकरो खातिर दोसर फूल ले आवही के परुवे।

 खैर थोड़ देर में पालुंग घाटी  पहुँचवीं जा।घाटी बहुत सुन्दर रहुवे। ओजी एगो भोजपुरिया भाई झालमुढ़ी बेचत भेंटा गउवन। खा के आगे बढ़वीं जा। ओजी बरफ वाला चोटी के पहिला दर्शन भउवे। करीब अढ़ाई बजे नैबिसे पहुँचवीं जा। नैबिसे में त्रिभुवन राजपथ (जवन ध के हमनी का आवत रहवीं जा) आ पृथ्वी राजपथ मिल जाला। ओजी रुक के खाना खा के निकल लेहवीं जा। नैबिसे से काठमांडू ढेर दूर नईखे। शहर में ढुकते एगो मोटरसाईकिल वाला ओभरटेक क के अईसन रोकुवे कि हमनियों का रुके के परुवे। ओकरी बाद ऊ हमनी की ल आ के नीमन होटल दिवावे के बात करे लगुवे। ओकरा रोकला की तरीका पर त अपने जीउ जरs रहुवे एसे ओके साफ मना क देहवीं। अइसहुँ हम पहिलहीं सोच लेहले रहवीं की ठमेल चौक की आस पास कवनो होटल में रुकेब। ए गो जरूरी बात। एगर रउवा नेपाल जा तानी त पासपोट जरूर ध लीं। बिना पासपोट के आवे जाए में त कवनो दिक्कत नईखे बाकिर सिम ना मिली। बहुत परेशान भईला की बाद त एगो सिम मिलुवे। फटाफट गूगल मैप में रास्ता देख के काष्ठमंडप महें ठमेल चौक के रास्ता बता देहवी। काष्ठमंडप जा के पता चलुए की एजी गाड़ी वाला रोड नईखे, बहुते गझिन, चाँदनी चौक खान बजार वाला गली बा। केहू तरे भगवान के नाम लेत घंटा भर में ओमें से निकल पवीं जा। निकलते नारायण हिती महल लउकुवे। डराइबर से कहवीं की दहिने ले ले
 आ जहें कवनो होटल लउके रोक ले। होटल में तनी मोलाई कईला की बाद डबल बेडरूम करीब हजार रूपिया में मिल गउवे ।

एक डेढ़ घंटा आराम क के बुद्धनाथ खातिर निकलवीं जा। करीब छव बजे बुद्धनाथ पहुँचवीं जा। एजी एगो विशाल स्तूप बा जवना की आस पास ढेर छोट छोट गोम्पा बा। स्तूप बहुत सुन्दर बा। ओकरी चारू ओर छोट छोट प्रार्थना चक्र लागल बा। हमरी बेटी का प्रार्थना चक्रवा घुमावे में बहुत माजा आवत रहुवे। स्तूप की दुवारी पर एगो घर में आदमी से दू पोरसा ऊँच ऊँच बिसाल प्रार्थना चक्र लागs रहुवे। ओके घुमवला की बाद स्तूप पर चढ के परिकरमा करवीं जा। उतर के बहरा अइला पर गाड़ी नापाता! डराइबर से कहले रहवीं जा कि अगर पुलिस हटावे के कही त वापस घुमा के बढ़ा लिहs आ बढावते चल जईहs। चलत चलत दू कीलोमीटर आ गवीं जा बाकिर कवनो पता ना। अंत में टेक्सी क के होटल में आ गवीं जा।

जब रातीखान दस बजे ले डराइबर ना अउवे त चिंता होखे लगुवे। फेर टेक्सी ले के बुद्धनाथ गवीं आ एक कीलोमीटर आगे ले खोजवीं तबो कवनो पता ना। तब गाड़ी मालिक की ल फोन घुमSवीं। ओजी से पता चलुवे की बाबू साहेब गोशाला थाना की बहरा खड़ा बाड़े। जा के उनका के लिया के अवीं।

ई रहल ह दुसरका दिन! फोटो के मजा लिहल जाव..........................
झुलुहा पुल

पुले पर माई-बेटी

दमन में नाश्ता

एगो फूल के सवाल बा

मिशन फलावर एकम्प्लिश्ड

एगो सीन

बोतल वाला पानी ढेर पी लेहनी जा, तनी नेचुरलो ट्राई कईल जाव

पुलंग में झालमुढी वाला भाई की संगे

बुद्धनाथ स्तूप

कपार पटक के गोड़ लागल जाला

गोड़ लागले ला जाला, जबरजस्ती लगवावलो जाला


स्तूप की ऊपर दुनू बेकत

इहो उपरे के ह

होटल की दुवारी पर

मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

गाँवें से हिटौड़ा, नेपाल यात्रा : पहिला दिन

पहिली बार मलिकाईन से आठ महीना बाद भेंट भइल रहे एसे उनकर डिमांड रहे कि कहीं घूमे चलल जाव, हम कहनी होली में गाँवें जाते बानी जा, ओही लगले नेपाल घूमि आवल जाव। मलिकाईन की ओर से हँ होते परोगराम पक्का हो गईल। एक हप्ता के परोगराम बनल। गाँवहीं के एगो बलेरो बन्हा गईल। आज काल्ह गंउवन में बोलेरो बाड़ा ढ़ेर हो गईल बाड़ीसन। डराइबर मिलले उमा शंकर। सुक के बिहाने पाँच बजे निकले के तय भईल। बाकिर जहाँ मेहरारू होखे ओजी केहू समय से कइसे निकल सकेला! निकलत निकलत आठ बज गईल। निकलनी जा गाँव से पुरुब महें। पलानिंग रहे कि गोपालगंज, रामपुर खजुरी, सुगौली होते हुवे बीरगंज बाडर क्रास क के नेपाल में ढुकल जाव आ ओहिदिन्ने काठमांडू ध लिहल जाव। बाकिर सोचल जो हो जाईत त रावण स्वर्ग जाए का सीढ़ी ना बनवा देले रहित! खैर आगे बढ़नी जा। बलुआ अफगान घाट पर खनुवा नदी हेलनी जा आ मुसहरी होते हुए भोरे पहुँचनी जा। भोरे चरमोहानी हेलला की बाद आइल लखराँव के बारी। पहिले ई बिशाल बगइचा रहे। आम महुवा कटहर बड़हर कुल्ह के फेड़ रहल सन। अब त खाली कहे भर के बारी रहि गइल बा। आठ दस गो फेड़ बा, बाकी खेते खेत हो गइल बा। हँ, बारी के निशानी की रूप में ललगंणिया बानर खूब बाड़सन। हमार बबूनी त देख के खूबे खुश हो गईल। आगे बड़कागाँव चौराहा से दहिने ले लेहनी जा कि मीरगंज ना जा के लाईन बजार से सोझे थावें का रास्ता ध लिहल जाई। बाकिर लाईन बजार में रास्ता गड़बड़ा गईनी जा आ थावें की बजाय कुचांयकोट के रास्ता धरा गउवे आ गलती आधा घंटा बाद बुझउवे। ओकरी बाद गावाँ गाईं केहू तरे हाईवे जोहि के धरवीं जा। गोपाल गंज पहुँचत पहुँचत एगारs बज गउवे। ओजी रूकवीं जा ना, बढ़त चल गवीं जा। ओकरी बाद रामपुर खजुरी में गंडक हेलवीं जा। भूख लाग गइल रहुवे। हमार माननीय पिताश्राी मछरी बना के देहले रहवीं। एक जगहि गंडक की तीरे डाब्बा खोलउवे आ रोटी मछरी उड़ुवे। बबुनी त नदी देख के पहिले त नाचे लगुवे आ खूब फोटो घिंचवउवे। ओजी से खा पी के आगे बढवीं जा। अब शुरू भउवे खराब रास्ता, अरेराज से सुगौली ले त तबो नीमन रहुवे बाकिर सुगौली से रक्सौल ले के रास्ता त पाद पदा देहुवे। राम राम करत तीन साढ़े तीन बजे नेपाल बाडर निकलवीं जा। गाड़ी के परमिट बनवावे खातिर भणसार आफिस पर रुकते दलाल अटैैक क देहुुवसन। एगो छव स रुपिया कमीशन ले के कुल्ही कागज बनवा देहुवे। हमरा त सस्ते बुझउवे। कुल साढ़े पाँच हजार नेपाली रूपिया में कुल कागज पत्तर बन गउवे। ई कुल होत जात साढ़े पाँच-छव बज गउवे। अब त काठमांडू पहुँचला के त कवनो सवाले ना रहे। फैसला भउवे जबले चलल जाव तबले चलल जाव, आगे कहीं रूक जाईल जाई। थोड़ देर में अन्हार हो गउवे बाकिर रूकवीं जा ना। बाकिर जब पहाड़ चालू गो गउवे त मलिकाईन कहवी की हमनी का घूमे निकलल बानी जा आ कुछु लउकत हइए नईखे। त फैसला भउवे की जहें ठिक ठाक होटल मिली तहें रुक जाईल जाई।  ऊ मिलुवे हेतौड़ा में। ओजी से काठमांडू 190 कीमी रहुवे।

अब बिहाने के बात बिहाने होई। तबले फोटो देखल जाव..................

चलेके घूमे

गण्डक तीरे
नेपाल के दुआरी