शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

हिटौड़ा से काठमांडू, नेपाल यात्रा : दुसरका दिन

सोचले रहनी जा कि हिटौड़ा से खूब बिहाने निकल लिहल जाई बाकिर भईल उहे जवन हमेशा होला। साढ़े सात ले निकलनी जा। हिटौड़ा कस्बा से बाहर निकलते मन हरिहर हो गईल। रोड की एक ओर जंगल से भरल पहाड़ त दुसरका ओर झरझरात साफ नदी। तनी आगे बढ़ला पर पैदल लोग का नदी ओ पार जाए खातिर एगो लोहा के झुलुहा वाला पुल रहे। मलिकाईन का सुंदर लागल त कहनी चलs लगे से देख लs। पुले पर चढ़ते ऊ हिले लागल। बबुनियाँ त डेरा के गोदी में सट गईल। पुल की बीच में से दुनू ओर घाटी शानदार लउकत रहे। दस मिनट ले आनंद लेहला की बाद आगे बढ़नी जा।

 रास्ता के सिनरी निहारत एक सावा घंटा में भइसहवाँ पहुँचनी जा। ओजी पुलिस कागज पत्तर चेक क के रजिस्जर में इंट्री क लेहुवे। भइसहवाँ समुंदर से 660 मीटर ऊँचा बा जबकी हिटौड़ा 470 मीटर। भइसहवाँ से काठमांडू जाए के दूगो रास्ता बा। एगो 140 कीलोमीटर बा आ एगो 187 कीलोमीटर। छोटका रस्तवा तनी खराब आ खतरनाक बा। डराइबर गाँव के रहे आ पहिली बार पहाड़ में आईल रहे एसे हमनी का बड़के रस्तवा धइनी जा।

 एजी से असली चढ़ाई चालू भईल। चढत-उतरत, छोट बड़ नदी पहाड़ हेलत आगे बढ़नी जा। रास्ता में दू तीन गो हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट परल। मलिकाईन रहि रहि के पूछे लागस हई का हs, हऊ का हs। पूरा बतावे के परल। डैमसाईट, पावर हाउस, एडिट, हेड रेज टनल, कैचमेंट एरिया कुल्ही फरिया के समझावे के परल। ओकरी बाद पहुँचनी जा दमन। रक्सौल-काठमांडू रास्ता के सबसे ऊँच जगहि। करीब 2500 मीटर पर बा। करीब दस बज गईल रहुवे एसे नाश्ता करे रूक गवीं जा। मलिकाईन तुरते चाय के आडर दे देहवी आ हम सवाचे लगवीं की हमरा का मिल सकेला। देखवीं की मेदूवड़ा से बड़ बाकिर ओकरे खानी गोल गोल कुछु धईल रहुवे। पुछला पर पता चलुवे की एकर नाम सेल रोटी हs। एके आलू-चना की तरकारी से खाईल जाला। एक पलेट ले के बईठ गवीं। एक काटा काटते पता चलुवे की ओमें त चिनियो परल बा। बाकिर तबो नीमने लगुवे। मलिकाइन आ डराइबर चाय-फरवठा मरुवे लो आ बबुनी के काम उसिनल अंडा से चल गउवे।

 खा पी के आगे बढ़वीं जा। अब उतराई रहुवे। जंगल की बिच बिच में फूल के पेंड़ लउकत रहुवsसन जवन लाल लाल फूल से लदाइल रहुवsसन। मलिकाइन फरमाइश करवी की कहीं फेड़वा निचिका लउको तs गड़िया रोकवा के फुलवा में से एगो ले अइतीं, बाड़ा सुन्दर लागsता। जब निचिका ना भेंटउवे त कहवीं कि का इनकर मन थोर करीं आ एक जगहि रोक के जंगल में उतरवीं। भीतरी जा के एगो फेड़ पर चढ़ के फूल तुर के ले अवीे। आहि दादा, ले के आवते बबुनिया बवाल नाध देहुवे कि हमरा खातिर काहे ना ले अइलs हs। केतनो समझवीं जा कि तोरे खातिर आइल हs बाकिर आज काल्ह की लइकन के बउक बनावल बहुत मुश्किल बा। ऊ नाहिये मनुवे आ हमरा दोबारा जा के ओकरो खातिर दोसर फूल ले आवही के परुवे।

 खैर थोड़ देर में पालुंग घाटी  पहुँचवीं जा।घाटी बहुत सुन्दर रहुवे। ओजी एगो भोजपुरिया भाई झालमुढ़ी बेचत भेंटा गउवन। खा के आगे बढ़वीं जा। ओजी बरफ वाला चोटी के पहिला दर्शन भउवे। करीब अढ़ाई बजे नैबिसे पहुँचवीं जा। नैबिसे में त्रिभुवन राजपथ (जवन ध के हमनी का आवत रहवीं जा) आ पृथ्वी राजपथ मिल जाला। ओजी रुक के खाना खा के निकल लेहवीं जा। नैबिसे से काठमांडू ढेर दूर नईखे। शहर में ढुकते एगो मोटरसाईकिल वाला ओभरटेक क के अईसन रोकुवे कि हमनियों का रुके के परुवे। ओकरी बाद ऊ हमनी की ल आ के नीमन होटल दिवावे के बात करे लगुवे। ओकरा रोकला की तरीका पर त अपने जीउ जरs रहुवे एसे ओके साफ मना क देहवीं। अइसहुँ हम पहिलहीं सोच लेहले रहवीं की ठमेल चौक की आस पास कवनो होटल में रुकेब। ए गो जरूरी बात। एगर रउवा नेपाल जा तानी त पासपोट जरूर ध लीं। बिना पासपोट के आवे जाए में त कवनो दिक्कत नईखे बाकिर सिम ना मिली। बहुत परेशान भईला की बाद त एगो सिम मिलुवे। फटाफट गूगल मैप में रास्ता देख के काष्ठमंडप महें ठमेल चौक के रास्ता बता देहवी। काष्ठमंडप जा के पता चलुए की एजी गाड़ी वाला रोड नईखे, बहुते गझिन, चाँदनी चौक खान बजार वाला गली बा। केहू तरे भगवान के नाम लेत घंटा भर में ओमें से निकल पवीं जा। निकलते नारायण हिती महल लउकुवे। डराइबर से कहवीं की दहिने ले ले
 आ जहें कवनो होटल लउके रोक ले। होटल में तनी मोलाई कईला की बाद डबल बेडरूम करीब हजार रूपिया में मिल गउवे ।

एक डेढ़ घंटा आराम क के बुद्धनाथ खातिर निकलवीं जा। करीब छव बजे बुद्धनाथ पहुँचवीं जा। एजी एगो विशाल स्तूप बा जवना की आस पास ढेर छोट छोट गोम्पा बा। स्तूप बहुत सुन्दर बा। ओकरी चारू ओर छोट छोट प्रार्थना चक्र लागल बा। हमरी बेटी का प्रार्थना चक्रवा घुमावे में बहुत माजा आवत रहुवे। स्तूप की दुवारी पर एगो घर में आदमी से दू पोरसा ऊँच ऊँच बिसाल प्रार्थना चक्र लागs रहुवे। ओके घुमवला की बाद स्तूप पर चढ के परिकरमा करवीं जा। उतर के बहरा अइला पर गाड़ी नापाता! डराइबर से कहले रहवीं जा कि अगर पुलिस हटावे के कही त वापस घुमा के बढ़ा लिहs आ बढावते चल जईहs। चलत चलत दू कीलोमीटर आ गवीं जा बाकिर कवनो पता ना। अंत में टेक्सी क के होटल में आ गवीं जा।

जब रातीखान दस बजे ले डराइबर ना अउवे त चिंता होखे लगुवे। फेर टेक्सी ले के बुद्धनाथ गवीं आ एक कीलोमीटर आगे ले खोजवीं तबो कवनो पता ना। तब गाड़ी मालिक की ल फोन घुमSवीं। ओजी से पता चलुवे की बाबू साहेब गोशाला थाना की बहरा खड़ा बाड़े। जा के उनका के लिया के अवीं।

ई रहल ह दुसरका दिन! फोटो के मजा लिहल जाव..........................
झुलुहा पुल

पुले पर माई-बेटी

दमन में नाश्ता

एगो फूल के सवाल बा

मिशन फलावर एकम्प्लिश्ड

एगो सीन

बोतल वाला पानी ढेर पी लेहनी जा, तनी नेचुरलो ट्राई कईल जाव

पुलंग में झालमुढी वाला भाई की संगे

बुद्धनाथ स्तूप

कपार पटक के गोड़ लागल जाला

गोड़ लागले ला जाला, जबरजस्ती लगवावलो जाला


स्तूप की ऊपर दुनू बेकत

इहो उपरे के ह

होटल की दुवारी पर

मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

गाँवें से हिटौड़ा, नेपाल यात्रा : पहिला दिन

पहिली बार मलिकाईन से आठ महीना बाद भेंट भइल रहे एसे उनकर डिमांड रहे कि कहीं घूमे चलल जाव, हम कहनी होली में गाँवें जाते बानी जा, ओही लगले नेपाल घूमि आवल जाव। मलिकाईन की ओर से हँ होते परोगराम पक्का हो गईल। एक हप्ता के परोगराम बनल। गाँवहीं के एगो बलेरो बन्हा गईल। आज काल्ह गंउवन में बोलेरो बाड़ा ढ़ेर हो गईल बाड़ीसन। डराइबर मिलले उमा शंकर। सुक के बिहाने पाँच बजे निकले के तय भईल। बाकिर जहाँ मेहरारू होखे ओजी केहू समय से कइसे निकल सकेला! निकलत निकलत आठ बज गईल। निकलनी जा गाँव से पुरुब महें। पलानिंग रहे कि गोपालगंज, रामपुर खजुरी, सुगौली होते हुवे बीरगंज बाडर क्रास क के नेपाल में ढुकल जाव आ ओहिदिन्ने काठमांडू ध लिहल जाव। बाकिर सोचल जो हो जाईत त रावण स्वर्ग जाए का सीढ़ी ना बनवा देले रहित! खैर आगे बढ़नी जा। बलुआ अफगान घाट पर खनुवा नदी हेलनी जा आ मुसहरी होते हुए भोरे पहुँचनी जा। भोरे चरमोहानी हेलला की बाद आइल लखराँव के बारी। पहिले ई बिशाल बगइचा रहे। आम महुवा कटहर बड़हर कुल्ह के फेड़ रहल सन। अब त खाली कहे भर के बारी रहि गइल बा। आठ दस गो फेड़ बा, बाकी खेते खेत हो गइल बा। हँ, बारी के निशानी की रूप में ललगंणिया बानर खूब बाड़सन। हमार बबूनी त देख के खूबे खुश हो गईल। आगे बड़कागाँव चौराहा से दहिने ले लेहनी जा कि मीरगंज ना जा के लाईन बजार से सोझे थावें का रास्ता ध लिहल जाई। बाकिर लाईन बजार में रास्ता गड़बड़ा गईनी जा आ थावें की बजाय कुचांयकोट के रास्ता धरा गउवे आ गलती आधा घंटा बाद बुझउवे। ओकरी बाद गावाँ गाईं केहू तरे हाईवे जोहि के धरवीं जा। गोपाल गंज पहुँचत पहुँचत एगारs बज गउवे। ओजी रूकवीं जा ना, बढ़त चल गवीं जा। ओकरी बाद रामपुर खजुरी में गंडक हेलवीं जा। भूख लाग गइल रहुवे। हमार माननीय पिताश्राी मछरी बना के देहले रहवीं। एक जगहि गंडक की तीरे डाब्बा खोलउवे आ रोटी मछरी उड़ुवे। बबुनी त नदी देख के पहिले त नाचे लगुवे आ खूब फोटो घिंचवउवे। ओजी से खा पी के आगे बढवीं जा। अब शुरू भउवे खराब रास्ता, अरेराज से सुगौली ले त तबो नीमन रहुवे बाकिर सुगौली से रक्सौल ले के रास्ता त पाद पदा देहुवे। राम राम करत तीन साढ़े तीन बजे नेपाल बाडर निकलवीं जा। गाड़ी के परमिट बनवावे खातिर भणसार आफिस पर रुकते दलाल अटैैक क देहुुवसन। एगो छव स रुपिया कमीशन ले के कुल्ही कागज बनवा देहुवे। हमरा त सस्ते बुझउवे। कुल साढ़े पाँच हजार नेपाली रूपिया में कुल कागज पत्तर बन गउवे। ई कुल होत जात साढ़े पाँच-छव बज गउवे। अब त काठमांडू पहुँचला के त कवनो सवाले ना रहे। फैसला भउवे जबले चलल जाव तबले चलल जाव, आगे कहीं रूक जाईल जाई। थोड़ देर में अन्हार हो गउवे बाकिर रूकवीं जा ना। बाकिर जब पहाड़ चालू गो गउवे त मलिकाईन कहवी की हमनी का घूमे निकलल बानी जा आ कुछु लउकत हइए नईखे। त फैसला भउवे की जहें ठिक ठाक होटल मिली तहें रुक जाईल जाई।  ऊ मिलुवे हेतौड़ा में। ओजी से काठमांडू 190 कीमी रहुवे।

अब बिहाने के बात बिहाने होई। तबले फोटो देखल जाव..................

चलेके घूमे

गण्डक तीरे
नेपाल के दुआरी