शुक्रवार, 28 अप्रैल 2017

केदारनाथ यात्रा – दुसरका दिन: चढ़ाई

बिहाने करीब 5 बजे होटल से निकल लेहवीं जा। होटल से गेट करीब 3-4 कीलोमीटर रहुवे। गेट पर पर्ची देखा के आगे बढ़वीं जा। तनी आगे सोन नदी पर लोहा के पुल रहुवे। ओकरी आगे लोग के गजबे भीड़ लागS रहुवे। सभ लोग गौरीकुण्ड वाली गाड़िन के इंतजार करत रहुवे। जेकरा सबूर ना होत रहुवे उ पैदले आगे बढ़त रहुवे। आदमी एतना रहुवे कि गाड़ी आवते भर जात रहवी सन। हमनियों का धाका-धुकी क के एगो गाड़ी में जगहि बना लेहवीं जा आ छव बजे ले गौरीकुण्ड पहुँच गवीं जा।

गौरी कुण्ड समुंदर से करीब दू हजार मीटर ऊँचा बा। एजी से केदारनाथ सोरह कीलोमीटर रहि जाला जवन की पैदले पूरा करे के परेला। पालकी आ खच्चर के बेवस्ठा बा बाकिर हमरा त दूनू खतरनाक लागल। हमरी सामने एगो खच्चर बिछिला के गिर गइल। सवारी का तS तनी मनी घाव लागल बाकिर खच्चरवा मर गइल। के तिर्थ में जा के पाप कमाई! आ महंगो बहुत बा। पालकी का दुनू ओर के खर्चा करीब एगारS हजार आ खच्चर के आठ हजार। एसे तS हेलीकाप्टरे सस्ता आ सुविधाजनक बा। सात आठ हजार में दुनू ओर के हो जाला बाकिर एडभांस बुकिंग करे के परेला।

गौरीकुण्ड में एकहSगो लाठी ले लेहवीं जा। पहाड़ में लाठी आ रेनकोट बहुत जरूरी हS। लठिया से आदमी के तीन गो टंगड़ी के फायदा हो जाला आ पहाड़ की बरखा के कवनो ठीक ना हS कि कब चालू हो जाई।

त हमनी का गौरी कुण्ड से आगे बढ़नी जा। मार जे आवे जाए वाला लोग के लाइन लागS रहे। तनी मनी  चलला की बाद हम हांफें लगवीं बाकिर आराम करत बढ़त रहवीं जबकि सिटुआ दउरत आगे बढ़त रहुवे। आगे जा के बईठ के ताके लागत रहुवे आ जब हम पहुँचत रहवीं त फेर संगे चलल शुरू करत रहुवे आ फेर आगे बढ़ के गाएब हो जात रहुवे। फेर उ हमार बैग ले लेहुवे जे हम तनी तेज चल पाईं। बैग ओके थमावते देहि बड़ा हलुका लगुवे। थोड़ देर तेज चल के फेर धिरा हो गवीं। ए बेरी सिटुवा जवन गायब भउवे जे ऊपरे जा के भेंटउवे।

हम आराम से चलत सात आठ बजे ले रामचट्टी पहुँचवीं। ओजी आलू के गरमा गरम झूरी निकलत रहुवे। बीस रूपिया के पाव भर लेके दाब लेहवीं। देहीं में तनी जोर आ गउवे। भगवान के नाम लेत आगे बढ़वीं। आस पास की सुन्दरता के मजा लेत आ हर थोड़ देर पर सुस्तात करीव साढ़े एगारS ले रामबाड़ा पहुँचवीं। रामबाड़ा रास्ता के करीब अधेआध हS। एजी से बाबा के दुआरी करीब 9 कीलोमीटर रहि जाला। एहीजी से नवका रास्ता आ पुरनका रास्ता अलग अलग हो जाला। पुरनका रास्ता अब जाए लाएक नइखे रहि गइल एसे सभका नदी हेल के नवके रास्ता धरे के परेला। नदी हेलते भयंकर चढ़ाई चालू हो जाला। एकहSगो कइंचीं मोड़ पार क के सुस्तात आदमी आगे बढल। एगो चढ़ाई पूरा करते सामने दोसर चढाई मुँह बवले खड़ा लउके। ई त नीमन बा कि बीच बीच में गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस बाड़े सन जे आगर केहू थाक जाव क ओह दिने कहला भर के किराया दे के आराम क के अगिला दिने आगे बढ़ सकेला। आगे लिचनोली में दू पलेट मैगी खइनी काहे से कि खाना कवनो गत के ना लउकत रहे।
तनी आगे एगो खच्चर बिछिला के गिर गइल जवना के जिक्र पीछे क चुकल बानी। आगे दू गो जमल नदी मिलवी सन। ओमें ऊपर से त बरफ जमल रहुवे बाकिर नीचे नीचे पानी बहत रहुवे। बरफवा काट के ओकरी उपर से आदमी का जाए के रास्ता बनावल रहुवे। लोग ओजी रुक के खूब बरफ के माजा लेत रहुवे।  अब बाबा करीब चार कीलोमीटर रहि गइल रहुवन। आगे तनी उतराई रहुवे आ आखिरी चढ़ाई रहुवे।
बाबा के नाम ले के आगे बढ़वीं। उतरत में बड़ा आराम मिलुवे बाकिर आखिरी चढ़इयो जबरजस्ते रहुवे। एक किलोमीटर की चढ़ाई में पाँच हाली आराम करे के परुवे। चढाई खतम कइला की बाद हालत एकदम पस्त हो गइल रहुवे। दस मिनट ले ओहीजी घांसी में पटा गवीं। फेर खड़ा भवीं आ आगे देखवीं। एक कीलोमीटर ले सपाट रास्ता। जहाँ सपाट रास्ता खतम होत रहुवे ओजी बेस कैम्प रहुवे। जहाँ रुके-खाए के सुविधा रहुवे। ओजी से मंदिर ले तनी मनी उतराई आ चढाई रहुवे। बेस कैम्प पहुँचते सिटुवा भेंटा गउवे जवन कि एगारहे बजे पहुँच गइल रहुवे, जबकि हमरा पहुँचत पहुँचत चार बज गइल रहुवे। मोट भइला आ धीरे चलला खातिर उ हमार बहुत लानत मलामत करुवे।
हम बहुत थाक गइल रहवीं आ चार बजियो गइल रहुवे। साढे चार में मंदिर में आरती होला आ ओकरी बाद बहरे से दर्शन करावल जाला। एसे हम बिहाने दर्शन करे के फैसला करवीं। डेढ़ डेढ़ स में कैम्प सें शेयर वाला बेड मिलुवे। दिन भर के हारल थाकल छवे बजे सुत गवीं जा। खाहूँ खातिर ना उठवीं जा।


पवित्र मंदाकिनी

ए यात्रा के संघतिया- सिटुवा


बरफ के पहिला झलक



6 टिप्‍पणियां:

  1. मजा आ गइल भोजपुरी में ब्लॉग पढ़ के, अइसही लिखत रही।

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    1. रउरा सभ के प्रेरणा रही त जरूर लीखत रहब। जै जै।

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  2. बहुत बढ़िया लिखल,चलत रहे घुमक्करी। जय बाबा के।

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    1. परनाम। राउर टिप्पणी पा के हम धन्य हो गइनी। हम ना जानत रहनी हँ कि रउरा भोजपुरिया हवीं।

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  3. अति सुंदर । निमन व्याख्यान कइल गइल बा।
    जबरदस्त

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