पिछला मई के बात हS, खलिहा बइठल रहनी तले एक दिन अखबार में केदारनाथ के कपाट खुले के खबर
पढ़नी। सोचनी जे ए बेरा कवनो काम धाम त बा ना, त चल के दर्शन क
लियाव ना त एक हाली वीजा आ गइल त फेर एकहक दिन गन के छुट्टी मिली। आ फेर हो भइल
दर्शन। संघतिया भेंटाइल सिटुआ (हमार ममियाउत भाई)। ऊ कबो हिमालय में ना गइल रहे।
कहनी चल तोके हिमालय देखा के ले आवSतानी। प्रोगराम बन
गइल बाकिर एन टाइम पर मलिकाइन कइ गो छोट मोट काम गिना के लत्ती लगा देहली। हमरो
मेहरारू के खिसियवा के जाए के बिचार ना रहे एसे जतरा दू दिन आगे बढ़ा देहनी जे काम
निपटा के चल जाएब। जब फेर जाए के बेरा आइल त फेर चार गो नया काम बता देहली। एब त
बरल खीस। चार गो कड़ेरे सुना के झोरा झंटा उठवनी आ चल देहनी। मामिला गरमात देख के
सिटुआ ई मान के कि आजुओ जतरा ना होई, अपना रूम पर भाग गइल रहे। ओके फोन क के बोलSवीं। बिचार ई बनल रहुवे कि सांझी की छव बजे वाला पसिंजर से हरिद्वार जाइल
जाई जवन तीन बजे भोर में पहुँचाई। आ ओजी से भोरे में बस ध लिहल जाई। ई कइला पर
ट्रेन में सुत लेतीं जा। बाकिर झगरा झुगरी में ट्रेन के टाइम बीत गउवे। एसे स्टेशन
गइबे ना करवीं जा, आ बस धरे सिटी सेंटर बस स्टेंड पहुँचवीं जा।
आधा घंटा में बस चल
देहुवे आ बिना कवनो बिशेष घटना के साढ़े बारS ले हरिद्वार पहुँच
गवीं जा। अब बस त पाँच बजे खुलित। तबले का कईल जाव! तीन
चार घंटा खातिर होटल लिहल त बउकाही कहाइत। त तय ई भउवे कि रेलवे स्टेशन पर समय
बिता लिहल जाव। चार्जिंग प्वाइंट खोज के फोन चार्जिंग में लगा के ओठंग गवीं जा।
सिटुवा हमसे तनी दूर ओठंगS रहुवे काहे से कि ओकर चार्जिंग प्वाईंट दूर
रहुवे। थोड़ देर में एगो पुलिस वाला आ के ओकरा से पूछ-ताछ करे लगुवे। तलाशी लेबे
लगुवे। तले हम उठ के लगे अवीं आ पुलिसवा से पुछवीं जे का परेशानी बा। त ऊ हमसे
एतने पुछुवे कि ई रउरी संगे बा का। हमरा सकार लेहला पर ऊ चल गउवे।
सबेरे करीब पाँच बजे
जा के बस में बईठ गवीं जा। जल्दिये सवारी फुल हो गउवे। तले एगो बूढ़ पालीथीन के
रेनकोट बेंचत लउकुवे। ऊ देख के मन परुवे की झगरा झुगरी में रेनकोट लेबे के त
भुलाइए गइल बानी। बिस बिस रुपिया के दू गो ले लेहवीं काहे से कि पहाड़ की बरखा के
कवनो भरोसा ना ह कि कब होखे लागी। छव बजे की करीब बस खुलुवे। हरिद्वार ऋषिकेश
निकलत बस नेशनल हाइवे नंबर 7 ध लेहुवे।
कुछ आगे जा के
नाश्ता-पानी खातिर बस एगो ढाबा पर रुकुवे। दुनू भाई दू दू गो आलू के फरवठा दबवीं
जा। बस देवप्रयाग-श्रीनगर होत चार बजे ले रुद्रप्रयाग पहुँचुवे। देव प्रयाग में
अलकनंदा आ भागीरथी के संगम बा। एहीजी ले आगे गंगाजी कहल जाला। जेकरा गंगोत्री जाए
के होला उ एजी से भागीरथी घाटी वाला रास्ता ध लेला आ जेकरा रुद्रप्रयाग की ओर (बद्रीनाथ-केदारनाथ)
जाए के होला उ अलकनंदा घाटी में बढ़ेला। रुद्रप्रयाग में एक दर्जन केरा लियउवे आ
बस में चाँपल गउवे। करीब पाँच-साढ़े पाँच ले बस हमनी के सोन प्रयाग में उतार
देहुवे। पहिले बस-गाड़ी गौरी कुंड ले जात रहली सन बाकिर बाढ़ की बाद सभ गाड़ी 7-8
कीलोमीटर पहिलही सोनेप्रयाग में रोका जाता। एजी से गौरी कुंड ले सरकारी कांट्रेक्ट
वाला गाड़ी बाड़ीसन जवनन के किराया बीस रु. सवारी फिक्स बा।
सोनप्रयाग में ऊ
भीड़ जे का कहल जाव। मेडिकल चेकअप आ यात्रा पर्ची बनवावे खातिर भयंकर लाइन लागल
रहुवे। मेडिकल चेक-अप 60 साल से उपर की आदमी खातिर जरूरी रहुवे। लाइन में लाग के
केहू तरे खिड़की ले पहुँचवीं जा। ओजी पर्ची खातिर आइडी प्रूफ मांगे लगुवे जवन हम
लेके गइले ना रहवीं। कहला सुनला पर सिटुआ की आइडी पर दूगो पर्ची बना देहुवे। सोचवीं
जा कि आज गौरीकुंड ले चल चलल जाव आ होत फजीरे चढाई शुरू क दीहल जाई बाकिर पुलिस ई
कहि के कि उपर ढेर आदमी चल गइल बा, गेटे बन क देहुवे। अव सोनप्रयाग में सभ होटल
फुल। हमनी का परेशान। दू-तीन किलोमीटर पीछे अइला पर एगो होटल भेंटउवे। उहो 1200 से
कम में देबे तइयार ना होत रहुवे। केतना कहला सुनला पर हजार में मनुवे।बिचार बनुवे
कि एब्बे खा ओ के सुत रहेके आ सबेरे चारे बजे होटल छोड़ दीहल जाई। अब सांझ की बेरा
कहीं सुध खाना ना भेंटउवे। मैगिये खा के सुते के परुवे।
सोनप्रयाग |
सोनप्रयाग |
सोनप्रयाग |